रक्षामंत्री राजनाथसिंह ने 25 मई को नई दिल्ली में "रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के दो दिवसीय "डीआरडीओ-शैक्षणिक समुदाय सम्मेलन" का उद्घाटन किया। इस अवसर पर रक्षामंत्री ने जोर देकर कहा कि देश की सीमाओं पर ‘‘दोहरे खतरे’’ को देखते हुए भारत जैसे देश के लिए रक्षा प्रौद्योगिकी में अपनी प्रगति पर ध्यान देना जरूरी है और साथ ही तकनीकी रूप से एक सक्षम सेना का होना भी अति आवश्यक है।
रक्षामंत्री ने कहा कि आज हम दुनिया की सबसे बड़ी सशस्त्र सेनाओं में से एक हैं और हमारी सेना के शौर्य एवं पराक्रम की दुनिया भर में प्रशंसा होती है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर के देश हमारे सशस्त्र बलों के साथ संयुक्त अभ्यास करने की इच्छा व्यक्त करते हैं। ऐसे में समय में यह जरूरी हो जाता है कि हमारे पास भारत के हितों की रक्षा के लिए तकनीकी रूप से उन्नत सेना उपस्थित हो। भारत जैसे देश के लिए यह बहुत जरूरी है क्योंकि हम अपनी सीमाओं पर दोतरफा खतरे का सामना कर रहे है।
इसलिए ये बहुत जरूरी है की भविष्य में देश के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान निकालने के लिए डीआरडीओ और शैक्षणिक समुदाय एक साथ मिलकर काम करे और नई प्रौद्योगिकी का विकास करे। जिससे भारत को रक्षा प्रौद्योगिकी में अग्रणी राष्ट्र बनने में काफी मदद मिलेगी।